अध्याय V
भवन एवं अन्य संनिर्माण श्रमिक कल्याण बोर्ड
18. राज्य के कल्याण बोर्डों का गठन-
- प्रत्येक राज्य सरकार, ऐसी तिथि के प्रभाव से जैसा वह, अधिसूचना द्वारा, नियुक्त करे,
इस अधिनियम के अधीन प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करने या उसे सौंपे के गये कार्यों को
निष्पादित करने के लिए एक बोर्ड का गठन करेगी जिसे ;राज्य का नामद्ध भवन एवं अन्य संनिर्माण
श्रमिक कल्याण बोर्ड के नाम से जाना जायेगा।
- बोर्ड, पूर्वोक्त नाम का एक निगमित निकाय होगा, जिसका चिरकालीन उत्तराधिकार होगा और
एक मुहर होगी और उक्त नाम से वाद दायर कर सकेगा और उस वाद दायर किया जा सकेगा।
- बोर्ड का अध्यक्ष केन्द्र सरकार द्वारा नामित एक व्यक्ति होगा, और उसमें अन्य सदस्य
राज्य सरकार द्वारा इतनी संख्या से नामांकित किए जायेगें, जो पंद्रह से अनधिक होगेंः
बशर्ते बोर्ड में राज्य सरकार, नियोक्ताओं और संनिर्माण श्रमिकों प्रतिनिधित्व करने
वाले सदस्य समान संख्या में शामिल होगें और बोर्ड की कम से कम एक सदस्य महिला होगीः
- अध्यक्ष तथा बोर्ड के अन्य सदस्यों की नियुक्ति की शर्तें और देय वेतन व अन्य भत्ते
और बोर्ड के सदस्यों की आकस्मिक रिक्तियों को भरने का तरीका वही होगा जैसा कि विहित
किया जा सकेगा।
19. सचिव व बोर्ड के अन्य अधिकारी-
- बोर्ड एक सचिव तथा इस तरह के अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों की नियुक्ति करेगा जैसा
वह इस अधिनियम के तहत अपने कार्यों के कुशल निर्वहन के लिए आवश्यक समझे।
- बोर्ड का सचिव उसका मुख्य कार्यकारी अधिकारी होगा।
- सचिव व बोर्ड के अन्य अधिकारियों व कर्मचारियों की नियुक्ति के नियम व शर्तें तथा देय
वेतन व भत्ते वही होगें जैसा कि विहित किया जा सकेगा।
20. बोर्ड की बैठक -
- बोर्ड ऐसे समय व स्थान पर बैठक करेगा और अपनी बैठकों में ऐसे प्रक्रियागत नियमों का
पालन करेगा ;इस तरह की बैठकों में गणपूर्ति सहितद्ध जैसा कि विहित किया जा सकेगा।
- अध्यक्ष या, यदि किसी भी कारण से वह बोर्ड की बैठक में भाग लेने में असमर्थ है, तो
इस संबंध में अध्यक्ष द्वारा नामित कोई सदस्य और इस तरह के नामांकन की अनुपस्थिति में,
बैठक में उपस्थित सदस्यों द्वारा आपस में से चुना गया कोई अन्य सदस्य बैठक की अध्यक्षता
करेगा।
- बोर्ड की किसी भी बैठक के समक्ष आने वाले सभी प्रश्न उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों
के मतों के बहुमत से तय किये जाएगें, और मतों के समान होने की स्थिति में, अध्यक्ष,
या उसकी अनुपस्थिति में, पीठासीन व्यक्ति, दूसरा या निर्णायक मत दे सकेगा।
21. रिक्तियां आदि, बोर्ड की कार्यवाही रद्द नहीं कर सकेगीं- बोर्ड
का कोई भी कार्य या कार्यवाही निम्नलिखित के होने के कारण मात्र से अमान्य नहीं होगी--
(a) बोर्ड में, कोई भी रिक्ति, या गठन में किसी भी दोष; या
(b) बोर्ड के सदस्य के रूप में कार्यरत किसी व्यक्ति की नियुक्ति में किसी दोष; या
(c) बोर्ड की प्रक्रिया में कोई अनियमितता जो मामले की श्रेष्ठता को प्रभावित नहीं
करती है।
22. बोर्ड की कार्य -
(1) बोर्ड निम्नलिखित कार्य कर सकेगा-
(a) दुर्घटना की स्थिति में किसी लाभार्थी को तत्काल सहायता प्रदान करना;
(b) साठ साल की आयु पूरी कर चुके लाभार्थियों को पेंशन का भुगतान करना;
(c) किसी लाभार्थी को घर के संनिर्माण के लिए ऋण व अग्रिम की स्वीकृति जो ऐसी राशि
से अधिक नहीं होगी और ऐसे नियम और शर्तों पर होगा जैसा कि विहित किया जा सकेगा;
(d) लाभार्थियों के सामूहिक बीमा योजना के लिए प्रीमियम के संबंध में ऐसी राशि का भुगतान
कर सकेगा जैसा वह उचित समझे;
(e) लाभार्थियों के बच्चों की शिक्षा के लिए ऐसी वित्तीय सहायता दे सकेगा जैसा कि विहित
किया जा सकेगा;
(f) लाभार्थी की प्रमुख बीमारियों या, इस तरह के आश्रित, जैसा कि विहित किया जा सकेगा,
के उपचार के लिए ऐसी चिकित्सा खर्च का भुगतान;
(g) महिला लाभार्थियों को मातृत्व लाभ का भुगतानय और
(h) ऐसे अन्य कल्याणकारी उपाय और सुविधाओं का प्रावधान और उनमें सुधार करना जैसा कि
विहित किया जा सकेगा।
(2) बोर्ड किसी भी प्रतिष्ठान में संनिर्माण श्रमिकों के कल्याण से जुड़े उद्देश्य
के लिए राज्य सरकार द्वारा अनुमोदित किसी भी योजना के सहायतार्थ किसी स्थानीय प्राधिकारी
या नियोक्ता को ऋण या सब्सिडी प्रदान कर सकेगा।
(3) यदि संनिर्माण श्रमिकों और उनके परिवार के सदस्यों के हित के लिए बोर्ड द्वारा
निर्दिष्ट मानक के अनुसार कल्याणकारी उपायों और सुविधाओं के प्रति बोर्ड के सदस्यों
को समाधान हो जाता है तो बोर्ड स्थानीय प्राधिकारी या नियोक्ता को वार्षिक अनुदान सहायता
भुगतान कर सकेगा, परंतु, किसी भी स्थानीय प्राधिकारी या नियोक्ता को देय यह अनुदान
सहायता निम्न से अधिक नहीं हो सकेगी-
(a) राज्य सरकार या इस संबंध में उसके द्वारा निर्दिष्ट किसी भी व्यक्ति द्वारा जैसा
भी विहित किया जाए, कल्याणकारी उपाय और सुविधाएं प्रदान करने में खर्च की गई राशि है,
या
(b) ऐसी राशि जो विहित की जा सकेगी, जो भी कम होः
बशर्ते कि, जहां किसी भी तरह के कल्याण उपायों और सुविधाओं के संबंध में पूर्वोक्त
रूप में विहित उस पर खर्च की गई राशि इस संबंध में विहित राशि से कम है, कोई अनुदान
सहायता देय नहीं होगी।
23. केन्द्र सरकार द्वारा अनुदान और ऋण - केन्द्र सरकार, इस संबंध
में कानून द्वारा संसद द्वारा समुचित विनियोजन के बाद, एक बोर्ड को ऐसी धनराशि का अनुदान
व ऋण प्रदान कर सकेगी, जैसा सरकार आवश्यक समझे।
24. भवन एवं अन्य संनिर्माण श्रमिक कल्याण कोष और उसका लागू होना-
(1) बोर्ड द्वारा एक कोष का गठन किया जाएगा जिसे भवन एवं अन्य संनिर्माण श्रमिक कल्याण
कोष कहा जायेगा और उसमें निम्न राशियां जमा की जायेगीं-
(a) धारा 23; 3 के तहत केन्द्र सरकार द्वारा बोर्ड को दिया गया कोई भी ऋण या अनुदान,
और
(b)लाभार्थियों द्वारा किए गए सभी योगदान;
(c) बोर्ड द्वारा इस तरह के अन्य स्रोतों से प्राप्त सभी राशियां जैसा कि केन्द्र सरकार
विहित करेगी,
(2) यह कोष निम्न की पूर्ति के लिए लगाया जा सकेगा--
(a) धारा 22 के तहत अपने कार्यों के निर्वहन में बोर्ड का व्यय; और
(b) बोर्ड के सदस्यों, अधिकारियों और अन्य कर्मचारियों के वेतन, भत्ते व अन्य पारिश्रमिक;
(c) इस अधिनियम के द्वारा अधिकृत उद्देश्यों और प्रयोजनों पर खर्च।
(3) कोई भी बोर्ड, किसी भी वित्तीय वर्ष में, अपने सदस्यों, अधिकारियों और अन्य कर्मचारियों
को वेतन, भत्ते और अन्य पारिश्रमिक तथा अन्य प्रशासनिक खर्चों को पूरा करने के लिए
उस वित्त वर्ष के दौरान अपने कुल खर्च के पांच प्रतिशत से अधिक खर्च नहीं कर सकेगा।
25 बजट- बोर्ड, प्रत्येक वित्तीय वर्ष में ऐसे प्रारूप व समय पर जैसा
कि विहित किया जा सकेगा, अनुमानित प्राप्तियों और बोर्ड का व्यय दिखाते हुए, अगले वित्त
वर्ष के लिए अपना बजट तैयार करेगा, और राज्य सरकार एवं केन्द्र सरकार को अग्रेषित करेगा।
26. वार्षिक रिपोर्ट- बोर्ड, प्रत्येक वित्तीय वर्ष में ऐसे प्रारूप
व समय पर जैसा कि विहित किया जा सकेगा, पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान अपनी गतिविधियों
का पूरा लेखा जोखा देते हुए, अपनी वार्षिक रिपोर्ट तैयार करेगा, और राज्य सरकार एवं
केन्द्र सरकार को अग्रेषित करेगा।
27. लेखा और लेखा परीक्षा - (1) बोर्ड समुचित लेखे और अन्य प्रासंगिक
रिकॉर्ड बनाए रखेगा और ऐसे प्रारूप में लेखों का एक वार्षिक विवरण तैयार करेगा जैसा
कि भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के परामर्श से विहित किया जा सकेगा।
(2) भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक या इस अधिनियम के तहत बोर्ड के लेखों की
लेखापरीक्षा के संबंध मंे उसके द्वारा नियुक्त कोई अन्य व्यक्ति को इस तरह की लेखापरीक्षा
के संबंध में वही अधिकार व विशेषाधिकार तथा प्राधिकार प्राप्त होगें जो कि भारत के
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक को सरकार लेखों के लेखापरीक्षण के संबंध में होते हैं
और विशेष रूप से बही, लेखों, संबंधित वाउचरों और अन्य दस्तावेजों व अभिलेखों को मांगे
जाने के लिए और इस अधिनियम के तहत बोर्ड के किसी भी अधिकारी का निरीक्षण करने का अधिकार
होगा।
(3) बोर्ड के लेखों की लेखापरीक्षा भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक द्वारा सालाना
आधार पर की जाएगी और इस तरह की लेखापरीक्षा के संबंध में किया गया व्यय बोर्ड द्वारा
भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक को देय होगा।
(4) बोर्ड लेखा परीक्षक की रिपोर्ट के साथ अपने लेखों की लेखापरीक्षित प्रतिलिपि राज्य
सरकार के समक्ष ऐसी तिथि से पूर्व प्रस्तुत करेगा जैसा कि विहित किया जा सकेगा।
(5) राज्य सरकार वार्षिक रिपोर्ट और लेखा परीक्षक की रिपोर्ट जैसे ही वे प्राप्त हों,
राज्य विधानमंडल के समक्ष, प्रस्तुत करना तय करेगी।
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